
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के विवादित संजौली मस्जिद की निचली दो मंजिल तोड़ने के मामले की याचिका पर गुरुवार को जिला न्यायालय में सुनवाई हुई। अदालत ने नगर निगम आयुक्त कोर्ट के उन आदेशों को बरकरार रखा है, जिनमें मस्जिद की निचली दो मंजिलों को तोड़ने के आदेश दिए थे। वक्फ बोर्ड ने शिमला नगर निगम आयुक्त कोर्ट के 3 मई के उन आदेशों को चुनौती दी थी, जिसमें आयुक्त कोर्ट ने पूरी मस्जिद को गैर कानूनी बताते हुए तोड़ने के आदेश दिए थे। गुरुवार को जिला अदालत ने भी संजौली मस्जिद का पूरा ढांचा गिराने के आदेशों को बरकरार रखा है।
ये है पूरा मामला
बता दें, 6 अक्तूबर को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश यजुवेंद्र सिंह ने वक्फ बोर्ड और नगर निगम के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद मामले को अंतिम आदेश के लिए 30 अक्तूबर के लिए सूचीबद्ध किया था। वक्फ बोर्ड ने 17 मई को शिमला एमसी आयुक्त कोर्ट के 3 मई के आदेशों को चुनौती दी थी। आयुक्त कोर्ट ने संजौली मस्जिद को गैरकानूनी बताते हुए निचली दो मंजिलें तोड़ने का आदेश दिया था। 19 मई को सुनवाई में अदालत ने मस्जिद कमेटी के प्रधान और एमसी शिमला को समन जारी कर रिकॉर्ड तलब किया।
23 मई को एमसी को दोबारा नोटिस जारी कर रिकाॅर्ड पेश करने के लिए कहा गया। 26 मई की सुनवाई में कोर्ट ने मस्जिद तोड़ने पर अंतरिम रोक लगाई। एमसी ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। 29 मई को अदालत ने स्टे को 5 जुलाई तक बरकरार रखा। 11 जुलाई को केस को बहस योग्य माना गया। 8 और 21 अगस्त को वक्फ बोर्ड ने बहस के लिए समय मांगा। 6 सितंबर को करीब सवा दो घंटे तक बहस हुई। अब 30 अक्तूबर को मामले में फैसला आया है।
दो गुटों में लड़ाई के बाद सुर्खियों में आया था मामला
उल्लेखनीय है कि संजौली मस्जिद मामला करीब 16 साल तक शिमला के नगर निगम आयुक्त कोर्ट में चलता रहा। इस दौरान 50 से भी ज्यादा बार इस केस पर सुनवाई हुई। 31 अगस्त 2024 को शिमला के मेहली में दो गुटों में मारपीट के बाद से मस्जिद विवाद गरमाया। 1 और 5 सितंबर 2024 को शिमला में हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किया। 11 सितंबर को संजौली-ढली में उग्र प्रदर्शन किया गया। उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग और वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया। इससे हिंदू संगठन भड़क गए। इसके बाद प्रदेश के कई जिलों में भी प्रदर्शन शुरू हुए और लोग सड़कों पर उतरे। इस बीच 12 सितंबर को संजौली मस्जिद कमेटी खुद निगम आयुक्त कोर्ट में पहुंची और खुद ही मस्जिद का अवैध हिस्सा तोड़ने की पेशकश की। हालांकि, 3 मई को एमसी आयुक्त कोर्ट ने इस पूरे मामले में अंतिम निर्णय ले लिया था। अब जिला अदालत ने भी इस फैसले पर मुहर लगाई है।
फैसले के बाद रेजीडेंट सोसायटी के सदस्यों ने बांटी मिठाई
संजौली मस्जिद मामले पर जिला अदालत के फैसले के बाद हिंदूवादी संगठनों के पदाधिकारियों व रेजीडेंट सोसायटी के सदस्यों ने मिठाइयां बाटीं। कहा कि यह फैसले ऐतिहासिक है। सोसायटी के अधिवक्ता जगत पाल ने फैसला का स्वागत किया।












