गाजियाबाद। प्रसव के डेढ़ घंटे बाद भी अस्वस्थ नवजात को नर्सरी में नहीं भेजा गया। इसके बाद लेबर रूम में ही शिशु की मौत हो गई। इस प्रकरण को छिपाने के लिए चिकित्सक एवं स्वास्थ्यकर्मियों ने खूब प्रयास किया, लेकिन नवजात की मौत के चार दिन बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया।
जिला महिला अस्पताल के लेबर रूम में चिकित्सक, स्टाफ नर्स और स्वास्थ्य कर्मियों की बड़ी लापरवाही से नवजात की मौत के मामले की फिलहाल जांच बैठा दी गई है। सीएमएस डॉ. अल्का शर्मा ने मंगलवार को संबंधित चिकित्सक समेत चार स्वास्थ्यकर्मियों से स्पष्टीकरण मांगा है।
साथ ही सभी का एक सप्ताह का वेतन काटने का आदेश जारी कर दिया है। उधर समाजसेवी सचिन सोनी ने इस प्रकरण में मुख्यमंत्री को लिखित में शिकायत भेजते हुए जांच कराने की मांग की है।
जिला महिला अस्पताल में प्रसव पीड़ा के बाद विजयनगर के रहने वाले शारिया की पत्नी निशा को 18 अप्रैल को दोपहर बाद 3:10 बजे भर्ती कराया गया। 6:56 बजे निशा ने बेटे को जन्म दिया। नवजात का वजन 2.71 किलोग्राम था।प्रसव में स्वास्थ्यकर्मियों एवं चिकित्सक की लापरवाही से हुए विलंब के चलते नवजात के पेट में गंदा पानी भर गया। नवजात को सांस लेने में परेशानी होने लगी। ऐसे में नवजात को तुरंत नर्सरी में भेजकर बाल रोग विशेषज्ञ की निगरानी में रखा जाना जरूरी था लेकिन डेढ़ घंटे तक किसी ने भी नवजात को नर्सरी भेजने का प्रयास नहीं किया।
नवजात ने लेबर रुम में ही दम तोड़ दिया। सूत्रों के अनुसार अधिकारियों ने इस मामले में वार्ड आया को दोषी मानते हुए लेबर रूम से हटा दिया,जबकि नवजात को नर्सरी में भेजने का निर्णय केवल चिकित्सक ही ले सकती हैं।
लेबर रुम में इनकी थी ड्यूटी
सीएमएस डॉ. अल्का शर्मा ने बताया कि नवजात की मौत गंभीर मामला है। ड्यूटी पर लेबर रुम में डा. सुषमा भारती, स्टाफ नर्स कंचन और रूबिका व वार्ड आया रेखा थी। सीएमएस का कहना है कि लेबर रुम में तैनात पूरे स्टाफ की यह घोर लापरवाही है। संबंधित के खिलाफ जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।