गाजियाबाद। चलती ट्रेन के इंजन से लोको पायलट व सहायक लोको पायलट कुछ भी नहीं फेंक सकेंगे। रेलवे बोर्ड ने इसपर प्रतिबंध लगा दिया है। इसका पालन न करने पर कार्रवाई होगी। हादसे जैसी स्थिति में नौकरी भी जा सकती है।
लोको मोटिव से सामान फेंकने पर कई जगह लोगों के चोटिल होने की घटनाएं हो चुकी हैं। कई लोगों ने इसकी शिकायत सीधे रेलवे मुख्यालय में की तो कई ने यह बात स्थानीय स्तर पर भी अधिकारियों के समक्ष दर्ज कराई। इसी को देखते हुए रेलवे बोर्ड ने चलती ट्रेन के इंजन से कुछ भी फेंकने पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया। आदेश में कहा गया है कि ट्रेन के गंतव्य तक पहुंचने पर ही कुछ भी सामान डस्टबिन में डालने की व्यवस्था करें। मुख्यालय के स्तर से लोको मोटिव में लगे कैमरों में यह भी यह देखा जा रहा है कि पायलट व सहायक लोको पायलट इसका पालन कर रहे हैं या नहीं। नियम का उल्लंघन करने पर कार्रवाई की सख्त चेतावनी जारी की गई है। इस बारे में नॉर्दर्न रेलवे के सीपीआरओ हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि बीते कुछ समय में रेलवे में तमाम तरह के बदलाव हुए हैं। बेहतरी के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में लोको पायलट के कुछ भी बाहर फेंकने का प्रतिबंध लगाने का नियम बनाया गया है।
पेशाब से भरी बोतलें फेंकने की सबसे ज्यादा शिकायतें : लोको मोटिव में शौचालय की व्यवस्था नहीं होती। इसलिए लोको पायलट व सहायक लोको पायलट खाली बोतल में पेशाब करते हैं। पेशाब से भरी बोतल को चलती ट्रेन से बाहर फेंक देते हैं। ऐसे में न सिर्फ ट्रैक के आसपास खड़े व्यक्ति को चोट लगने का खतरा रहता है, बल्कि उसके ऊपर गंदगी भी गिरती है। लोको इंजन में लगे कैमरों को देखने पर भी यह पता चला है कि लोको पायलट व सहायक लोको पायलट पेशाब से भरी बोतलों को ही ज्यादातर बाहर फेंकते हैं। जवाब तलब होने पर यह बात कई लोको पायलट ने अपने स्पष्टीकरण में भी लिखित में दी है।