‘‘चार लाईन गीता सार’’

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सार गीता का यही नश्वर है ये संसार बस !
आत्मा नेता है जनता जीव है लाचार बस !!
आत्मा है अमर जग में जो कभी मरता नहीं !
जीव भव सागर में मरता जन्मता हर बार बस !!

सतीश चौहान, आर-235, एचआईजी डुप्लेक्स
प्रताप विहार, गाजियाबाद

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