रजत शर्मा का ब्लॉग | महाकुंभ: राहुल, केजरीवाल ने डुबकी क्यों नहीं लगाई?

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इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

महाकुंभ का समापन हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि यह एकता का महाकुंभ युगपरिवर्तन की आहट है, हजारों साल की गुलामी की मानसिकता को तोड़कर सनातन की भव्य विरासत का विश्वदर्शन है। योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ में तैनात सफाईकर्मियों को सम्मानित किया। 32 हजार सफाईकर्मियों की तैनाती हुई। नदी के किनारे घाटों की सफाई के लिए 1800 गंगादूत तैनात किए गए, डेढ़ लाख टॉयलेट बनाए गए, 50,000 से ज्यादा चेंजिंग रूम्स बनाए गए, घाटों के किनारे कूड़ा डालने के लिए बीस हजार से ज्यादा ट्रैश बिन रखे गए, नदी में कचरा न रहे इसके लिए बड़ी-बड़ी फ्लोटिंग मशीन लगाई गई जो रोज पन्द्रह टन कचरा नदी से निकलती थी। योगी ने 32 हजार सफाईकर्मियों का वेतन 10,000 रुपये से बढ़ाकर 16,000 रुपये करने का ऐलान किया और उन्हें 10,000 रुपये बोनस देने की घोषणा की।

रेलवे ने भी कहा है कि वह अच्छा काम करने वालों को पुरस्कृत करेगा। महाकुंभ का एक और सुनहरा पक्ष  है, यहां अमीर गरीब का भेद मिट गया। गरीब आदमी ने खूब पैसे कमाए, अमीरों ने जी खोलकर दान दक्षिणा पर लुटाए। छोटे दुकानदारों, रेहड़ी पटरी लगाने वालों को कितना लाभ हुआ, इसके बहुत सारे उदाहरण हैं। किसी ने चाय बेचकर 5 हजार रुपये रोज़ कमाए, किसी ने 10 रुपये में चंदन का टीका लगाकर 65 हजार रुपये बनाए, किसी ने दातून बेचकर 40 हजार रुपये कमाने का दावा किया। एक यूट्यूबर वहां जाकर लेमन टी बेचने लगा और 3 लाख रुपये कमाए। कुछ लोगों ने गंगा से सिक्के बटोरे और कइयों को तीस हजार रुपये तक मिल गए।

दूसरी तरफ बड़ी कंपनियों ने लोगों की खूब मदद की। कोका कोला ने प्लास्टिक बोटल्स को रिसाइकिल करके 21 हजार जैकेट्स बनाई और सफाई कर्मचारियों और नाविकों को बांटीं। मैनकाइंड फार्मा ने फ्री मेडिकल कैंप्स लगाए। एवररेडी ने पुलिस को 5 हजार सायरन वाली टॉर्चेज और बैटरीज मुफ्त में दी। गौतम अडानी ने भंडारा लगाया जहां एक लाख लोगों को हर रोज मुफ्त खाना दिया गया। बड़ी कंपनियों ने तो अपने शटर डाउन कर दिए, लेकिन आज जब खोमचा लगाने वालों, छोटा-मोटा सामान बेचने वालों ने अपनी दुकानें समेटनी शुरू की तो उनकी आंखों में आंसू थे। उन्हें आने वाले दिनों में रोजगार की चिंता थी।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि योगी ने उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में आने वाले जिन 3 लाख करोड़ रुपयों का जिक्र किया है, उसका लाभ इन सब लोगों को मिलेगा, जिनके लिए महाकुंभ रोजगार का एक बड़ा स्रोत था। इस महाकुंभ से पूरे उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलेगा और प्रयागराज के विकास को पंख लग जाएंगे। महाकुंभ से पहले सनातन की भक्ति की इतनी चर्चा तब हुई थी जब राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह हुआ था। लेकिन वहां लोगों को आमंत्रित किया गया था। महाकुंभ में लोग स्वेच्छा से पहुंचे थे। प्राण प्रतिष्ठा समारोह भव्य था। वहां सेलिब्रिटिज थे। महाकुंभ देश के आम आदमी का मेला था। यहां सेलिब्रिटिज और VIPs दिखाई तो दिए पर भीड़ में खो गए।

महाकुंभ मूल रूप से गरीबों और मध्यम वर्ग के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन गया। देश के कोने-कोने से आए करोड़ों लोगों की श्रद्धा की अभिव्यक्ति का मंच बन गया। इतनी बड़ी संख्या में लोग आए कि उसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी। अब इसके राजनीतिक नफे नुकसान की बात होगी। 66 करोड़ श्रद्धालु आए। उनके सियासी असर की बात होगी। मोदी और योगी को सफल आयोजन का श्रेय मिलेगा तो विरोधियों को बहुत तकलीफ होगी। अखिलेश यादव ने कुंभ में आने वाले लोगों की भावनाओं को समझने में काफी देर की। पहले सवाल उठाते रहे, लेकिन जब भक्तों की भीड़ देखी तो वह भी डुबकी लगा आए ताकि कल कोई ये न पूछ पाए कि वह महाकुंभ में स्नान करने क्यों नहीं गए।

कांग्रेस में 2 तरह के लोग दिखाई दिए। एक तरफ तो डीके शिवकुमार और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे नेताओं ने महाकुंभ में स्नान किया लेकिन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी नहीं आए। मैं हैरान हूं। अगर राहुल गांधी संगम में डुबकी लगा लेते तो क्या बिगड़ जाता? अगर उनका तर्क ये है कि ये उनका पर्सनल मामला है, तो फिर अपनी अनुपस्थिति से होने वाले राजनीतिक नुकसान के लिए भी तैयार रहना चाहिए। केजरीवाल ने तो कैमरे पर कहा था कि वो दिल्ली का चुनाव होने के बाद कुंभ जाएंगे पर उनकी लुटिया यहीं डूब गई। अब जब-जब चुनाव होंगे, योगी लोगों को याद दिलाएंगे कि ये सब चुनावी हिंदू हैं। राहुल, केजरीवाल और तेजस्वी यादव जैसे नेताओं के लिए जवाब देना मुश्किल हो जाएगा।

ममता के भतीजे ने बुआ के साथ जीने-मरने की कसम क्यों खाई?

ममता बनर्जी ने महाकुंभ को मृत्यु कुंभ बता दिया था। महाकुंभ खत्म होने के बाद ममता बनर्जी ने बीजेपी के हिन्दुत्व को नकली बताया। ममता बनर्जी ने कहा कि बीजेपी का हिंदुत्व सिर्फ दिखावा है। हकीकत में बीजेपी गेरुए रंग वाली वामपंथी पार्टी है, इसलिए बीजेपी को गेरुआ कॉमरेड कहना चाहिए। बीजेपी ने कोलकाता नगर निगम द्वारा विश्वकर्मा जयन्ती की छुट्टी रद्द किए जाने का मसला उठाया था। जवाब में ममता ने कहा कि बंगाल में तो बीजेपी के नेता हिंदू त्यौहारों पर छुट्टियों को लेकर बहुत शोर मचाते हैं, लेकिन ये नहीं बताते कि दुर्गा पूजा से लेकर छठ पर्व तक मोदी सरकार कितनी छुट्टी देती है। ममता ने बीजेपी पर फर्जी वोटर्स की मदद से चुनाव जीतने का आरोप लगाया। ममता ने कहा कि चुनाव आयोग की मदद से पंजाब, हरियाणा, गुजरात और बिहार जैसे राज्यों के लोगों को बंगाल की वोटर लिस्ट में शामिल किया जा रहा है।  ममता ने कहा कि बीजेपी का ये फॉर्मूला हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में तो चल गया, लेकिन बंगाल में नहीं चलेगा। वह बंगाल में ऐसा नहीं होने देंगी। ममता ने कहा कि चुनाव आयोग पूरी तरह बीजेपी के लोगों से भरा हुआ है।

अब एक चौंकाने वाली बात हुई। ममता बनर्जी के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी ने कहा कि वो गद्दार नहीं हैं, ममता बनर्जी से उनका कोई मतभेद नहीं हैं, अफ़वाहें फैलाई जा रही हैं कि वो बीजेपी के साथ जा रहे हैं, नई पार्टी बनाने जा रहे हैं लेकिन ऐसी बातों में कोई सच्चाई नहीं है। अभिषेक बनर्जी ने कहा कि वो मर जाएंगे लेकिन ममता बनर्जी का साथ नहीं छोड़ेंगे। अभिषेक बनर्जी ने ये क्यों कहा कि वो मरते दम तक बुआजी का साथ नहीं छोड़ेंगे? दरअसल कई दिनों से ये कहा जा रहा था कि अभिषेक ने तृणमूल कांग्रेस में अपनी एक अलग लॉबी बना ली है। कुछ लोग ये कहने लगे कि वो पार्टी पर कब्जा करना चाहते हैं। और फिर ये हवा उड़ी कि अपने खिलाफ मामलों से डरकर अभिषेक बनर्जी बीजेपी ज्वाइन करना चाहते हैं। लेकिन लगता है कि अभिषेक बनर्जी समझ गए हैं कि बंगाल में ममता बनर्जी को चैलेंज नहीं किया जा सकता। तृणमूल कांग्रेस में अभिषेक का अस्तित्व ममता की कृपा पर निर्भर है। इसीलिए भतीजे ने बुआ के साथ जीने-मरने की कसम खा ली।

बिहार: टीचर को गुस्सा क्यों आया?

सोशल मीडिया पर बिना सोचे समझे वीडियो अपलोड करना कितना भारी पड़ सकता है, इसका उदाहरण बिहार में सामने आया। जहानाबाद के केंद्रीय विद्यालय की एक महिला प्रशिक्षु अध्यापिका को नौकरी से निलम्बित कर दिया गया। दिल्ली निवासी दीपाली शाह  ने अपने दो वीडियो रिकॉर्ड करके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मस पर पोस्ट कर दिए। दीपाली शाह बिहार में अपनी पोस्टिंग से परेशान थी, उसने अपनी नाराजगी सोशल मीडिया के जरिए जाहिर की लेकिन इस दौरान मर्यादा की सारी सीमांए पार कर गई। इस टीचर ने न सिर्फ गालियों का इस्तेमाल किया, गंदी भाषा का प्रयोग किया, बल्कि बिहार का भी अपमान किया।

समस्तीपुर की सांसद शांभवी चौधरी ने केंद्रीय विद्यालय संगठन के कमिश्नर को चिट्ठी लिख कर उसे बरखास्त करने की मांग की। ये बात तो सही है कि दीपाली शाह ने बिहार पर जो कहा, वो सरासर गलत है। दीपाली शाह की इस हरकत से बहुत से लोग आहत हैं। किसी टीचर को ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और सोशल मीडिया के जरिए अपनी भड़ास नहीं निकालनी चाहिए। हालांकि दीपाली शाह को अपनी गलती का एहसास है, उसने पुलिस को लिखित में माफीनामा दिया है, लेकिन उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट किया था। इसलिए दीपाली को  सोशल मीडिया पर ही माफी मांगनी चाहिए। उसके बाद इस मामले को यहीं खत्म किया जाए तो बेहतर।

Trump: 44 करोड़ के Gold Card से क्या मिलेगा?

अगर आपके पास 44 करोड़ रुपये हैं, तो आप अमेरिका में बस सकते हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरे देशों के नागरिकों  के लिए गोल्ड कार्ड वीज़ा स्कीम शुरू करने का एलान किया है। अब जो लोग अमेरिका जाकर काम करने, कारोबार करने के इच्छुक  हैं, वे 50 लाख डॉलर या करीब 44 करोड़ रुपये में गोल्ड कार्ड ख़रीदकर अमेरिका में बस सकेंगे। ट्रंप ने एलान किया है कि उनकी सरकार ने दस लाख गोल्ड कार्ड बेचने का लक्ष्य रखा है। ट्रंप ने कहा कि रूस, चीन और भारत समेत दुनिया के सभी देश के नागरिक के लिए गोल्ड कार्ड स्कीम के दरवाज़े खुले होंगे, इस स्कीम का विवरण दो हफ़्ते में सामने आ जाएगा।

अमेरिका में अब तक की नीति ये रही है कि 10 लाख डॉलर यानी 8-9 करोड़ रुपये लगा कर लॉन्ग टर्म वीजा हासिल किया जा सकता है। बाकी देश भी इसी तरह की पूंजी के एवज में नागरिकता देने को तैयार हो जाते हैं। तुर्की में साढ़े तीन करोड़ रुपये और ग्रीस में सवा दो करोड़ रुपये इन्वेस्ट करने से नागरिकता मिल सकती है। लेकिन ट्रंप पक्के बिजनेसमैन हैं। अमेरिका की नागरिकता की वैल्यू समझते हैं। इसीलिए उन्होंने 50 लाख डॉलर की शर्त रख दी है। अब जिसके पास 45-50 करोड़ रुपये होंगे, वही अमेरिका का नागरिक बनने का सपना देख सकेगा। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 27 फरवरी, 2025 का पूरा एपिसोड

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